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दुनिया ख़त्म होने को थी, कई तरह की प्राकृतिक घटनाएँ होने की ख़ास वजह थी शायद ये कि मौजूद तमाम तरह के निशान मिट सके।हमेशा के लिए। फिर सदियों बाद नईदुनिया भी यहीं बसनी थी। सिलसिला हज़ारों सालों से चल रहा था। धरती चीख़ रही थी, प्रकृति का कहर बरपा था। उसने लगभग वो सारी निशानियाँ मिटा दी जिनसे ख़ूबसूरती थी।
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पुराने कुछ रिश्ते दम तोड़ चुके थे, कुछ वेंटिलेटर पर आख़री साँसे ले रहे थे। फ़ोन कई तस्वीरों से भरा था । एक फ़ोल्डर जो जुलाई 2017 का था उस तक पहुँचने में चन्द मिनट लगते जबकि वापसी में महीनों। वैसे इसे दो बार डिलीट भी किया गया था पर जाने क्यू फिर रिकवरी के लिए तेज़ बारिश में बिना छाता लिए दौड़ते रहे थे। इस बार मन और मजबूत करके दिल पर 100 kg बोझ रखकर फोल्डर में एक-एक कर तस्वीरें हटानी शुरू की। हर तस्वीर की कोई कहानी होती, जो खींचे गए पलों और बातों की याद दिलाती। उससे कहा भी था कि इतनी तस्वीरों का क्या करेंगे हम!! वो कहती ''तस्वीरें यादें बनाती हैं..हम ज़ियादा दिन साथ नहीं रहेंगे..पर ये तस्वीरें साथ रखना । ये तुम्हें मेरी याद दिलाएगी।'' मैं कहता- ''कही नहीं जा रही हो तुम,अभी तो आई हो..'' '' तुम इतनी फ़िक़्र मत किया करो यार..मुझे डर लगने लगता है तुमसे..'' ''अरे.....'' दोनों चुप हो जाते, अगले ही पल वो कहती ''लाओ फ़ोन दो..सेल्फ़ी लेनी है'' मैं देखता हूँ कि इक तस्वीर जिसमें वो मेरे साथ बहुत नज़दीक खड़ी है, उसने बाँहों में आने से कम और कंधे पर हाथ रखने से कुछ ज़ियादा होकर वो तस्वीर ली है..!! डिलीट करते हुए उस तस्वीर के पहले की बातें याद आई। वो दिन सबसे बुरा और सबसे अच्छा था ज़िन्दगी का। डिलीट करने में लगा वक़्त था 8 मिनट 40 सेकंड। अगली तस्वीर एक ग्रुप फ़ोटो थी जिसमें कई सारे दोस्त थे, वो मेरे कंधे पर सर रखकर और बाहें डालकर पोज़ दे रही थी। हम दोनों मुस्कुरा रहे थे । उसने तस्वीर के दौरान कहा '' मैं ज़िन्दगी भर तुम्हारे साथ ऐसे ही बैठी रहूँ तो कितना अच्छा हो'' ''आर यू क्रेज़ी? बाकि काम कौन करेगा मैडम..'' वो 10 जुलाई की शाम पता नहीं था कि ज़िन्दगी की आख़री खूबसूरत शाम होगी। ख़ैर वो तस्वीर भी डिलीट कर दी गयी । इस बार वक़्त कुछ ज़ियादा लगा लगभग 21 मिनट कुछ सेकंड। अब वक़्त बदला है हम दोनों ही अब किसी और के साथ ज़ियादा तस्वीरें नहीं लेते। यानी बाद बिछड़ने के इतना दर्द नहीं होगा । अब समझ आता है कि किन बातों से तकलीफ़ होती है, वो मोमेंट जीना छोड़ देते हैं अब । कल यूट्यूब पर एक वीडियो देखने से पहले ऐड आया,मैंने 4 सेकंड के बाद उसे skip कर दिया।हमारी ज़िन्दगी में स्किप करने का ऑप्शन होता तो कितना अच्छा होता ना सब कुछ? हम जिस लम्हें को याद नहीं करना चाहते उसे स्किप कर देते। जब चाहे ज़िन्दगी में save यादें डिलीट कर देते । पर इतना आसान थोड़े ही होता है। ख़ैर मूव ओन करों जानी.. फ़ोन के साथ दिल का भी स्टोरेज कम करो कि अब इनमें नई फ़ोटोस रखनी है।
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लोग क्यों किसी को इतने पास आने देते हैं? क्यों ख़ुद को रोक नहीं पाते? क्या वजह रहती होगी प्रेम में पड़ने की? मैं कभी-कभी इन लोगों से मिलकर सोचने लगता हूँ कि मुझे कभी किसी से प्रेम क्यों नहीं हुआ? किताबों के बाहर की दुनिया में मेरे जैसे लोग बसर क्यों नहीं कर पाते?
✒न से नितेश
(कहानी पहली बार 12 दिसम्बर 2018 को फेसबुक पर पोस्ट की थी)
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