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Thursday, March 15, 2018

हम हारे हुए लोग है..

"जब हार रहे हो तो जानबूझकर गिर जाओ, बहाना तो मिल ही जाता है।"
..फिर एक दिन ऐसा कोई बहाना करके हम ख़ुद पर झूठा गर्व जताते है। एक दिन वो वादे भी भूला दिए जाते है, जिसे भविष्य की सबसे मज़बूत नींव समझ लेते है।
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फेसबुक का On This Day वाला फीचर कभी-कभी बुरी यादों को भी सामने ला खड़ा कर देता है।
     जिसे हमें भूलने में अरसा लगा हो वो बातें भी हम नहीं भूल सकते। दरअसल हम भूलें ही नहीं थे, हम ढोंग कर रहे होते है।
हम बड़े हो चुके होते है उन "नादानियों"(?) के लिए कहीं भी जगह नहीं बचा पाते....।
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सब खेल रास्तों का होता है और एक छोटी-सी गड़बड़ी से तय होता है ..वो जो शायद नहीं होना था या होना था..??
  हम कभी सोच नहीं पाते कि सही क्या है..फिर स्वीकार करने के सिवा कोई चारा नहीं होता तो चुपचाप ख़ुद को समझाते है कि जो हुआ अच्छा हुआ।
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हम हारे हुए लोग है, ऐसे लोग जो आसानी से साबित कर सकते है कि हमारी हार में हमारा कोई दोष नहीं था।
हार-जीत का क्या है वो तो चलती रहती है। एक सिक्के के दो पहलू है।
हाँ सिक्का वही, जिसे उछाल कर हम ज़िन्दगी के फ़ैसले लेते है कभी-कभी। और फिर उन्हें मानते नहीं है या तब तक उछालते है जब तक वही परिणाम ना आए,जो हम पहले से चाहते है।

हम लोग दोगले क़िस्म के बुरे इंसान है। सो नियति को भला-बुरा कहना हमारे हक़ में नहीं है। चलने दो जो हो रहा है। कहीं चलकर चाय पीते है इस बकवास में कुछ नहीं रखा।
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सुनों वो सिक्का खो गया है जिससे तुमनें  फैसला किया था उस दिन, अगर मिले तो लौटा देना। उसे सम्भाल कर रखूँगा।
-नितेश कुशवाह 'निशु'
8 मार्च 2018
दोपहर और शाम के बीच का वक़्त
【 5 मार्च 2016 की एक पोस्ट पर नज़र पड़ने के बाद लिखी गयी बकवास】

Tuesday, March 13, 2018

मेरी आँखें _आँसू तुम्हारे

उसकी आँखों में साफ़ दिखाई दे रहा था कि वो रोना चाहती थी,ख़ूब रोना चाहती थी। मगर वो दुनिया के सामने ख़ुद को कमज़ोर ना बताने की कोशिश  में  कभी रो नहीं पाई। जब भी उसकी रोने की बारी आती वो हर बार धोखा देकर उन आँसुओ को सम्भाल कर रखती और फिर जैसे ही तन्हा होती ख़ूब रोती, सिसक-सिसक कर रोती।
उसे लगता था कि ये उसके सब्र का इम्तिहान है, पर वो नहीं जानती थी कि वो इसमें असफल हो चुकी है ।

मैं रोया उसकी तरफ से,, इसलिए नहीं कि मैं कमज़ोर पड़ गया था। मैं चाहता था कि मैं उसे बता पाऊँ कि तुम्हें रोने की ज़रूरत नहीं है,,!!
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सुनो..!! तुम मत रोना कि रो रहा हूँ मैं तुम्हारे हिस्से का..
सुनो..!!तुम मेरी हिस्से की हँसी हँसती हुई अच्छी लग रही हो..!!
___सिर्फ तुम्हारा..
-नितेश कुशवाह 'निशु'

ना अपने बारें में ना तुम्हारे.. दुनिया के किसी हिस्से की बात!

ये भी मुमकिन है कि आँखें हों तमाशा ही न हो  रास आने लगे हम को तो ये दुनिया ही न हो    टकटकी बाँध के मैं देख रहा हूँ जिस को  ये भी हो सकता है...