आसपास पटाकों की आवाज़ थी,शोर नहीं था,,ख़ुशियाँ थी!! शहर से गांव तक का पूरा रास्ता सजाया हुआ था। गाँव में उत्सव था। लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ बाँट रहे थे।
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कुछ दिन पहले हम एक कॉफ़ी शॉप जैसे किसी रेस्तरां में बैठे थे। मैं बहुत कुछ कहना चाह रहा था पर लफ़्ज़ साथ नहीं दे रहे थे।
मेरे बोलने से पहले ही..
तुम- ''मैं तुम्हें इस हाल में नहीं देख सकती,तुम्हारे दुःख की वज्ह नहीं बन सकती उम्र भर!!''
मैं- ''ह्म्म्म्म तो..?''
तुम- ''चलो चलकर शादी कर लेते हैं!!''
अगले कुछ घण्टों में हम एक फूलों की दुकान के सामने थे। जो सड़क के उस पार थी।
मैं कुछ गुलाब और फूल मालाएँ लेकर तुम्हारी और बढ़ रहा था! तुम्हें देखकर मुस्कुराते हुए।
अचानक....
एक गाड़ी ने मुझे जोरदार टक्कर मार दी..
अगले कुछ घण्टे बाद..
आसपास बहुत से लोग..डॉक्टर्स, नर्स, रिश्तेदार,दोस्त और तुम...
मुझे लेटाकर जल्दी से वेंटिलेटर पर रखा जा रहा था.... शोर में बस ये सुनाई दे रहा था कि मेरी हालत बहुत नाज़ुक है! बचने की संभावनाएं नगण्य!मैं कोमा में था।
अगले तीन दिन हॉस्पिटल टाइप के मनहूस माहौल में तीन साल जैसे गुज़रते रहे।
चौथे दिन मैंने हरकत करना शुरू की..फिर से भीड़।
तुम मेरे सामने थी।
(मैं सबकुछ भूल चूका हूँ हादसे के दिन के बाद का। और जो याद है तबसे अब तक का वो ये कि..)
मैं- तुम यहाँ हो, मुझे कोई मिला था जो भगवान होने का दावा कर रहा था।
(सभी मेरी तरफ आश्चर्य और ख़ुशी से देख रहे थे, मैं बस बोलता जा रहा था, क्या? पता नहीं)
मुझे एक बहुत बड़े वेटिंग रूम में बिठाया गया, फिर सफ़ेद कपड़े पहने कोई आया, जिसने कहा कि तुम्हारे भगवान तुम्हे अंदर बुला रहे हैं, मैं अंदर गया ये सोचकर कि ज़रूर तुम कोई नाटक कर रही हो, या मुझे कोई surprice देने वाली हो। वहाँ गया तो वहाँ एक बहुत तेज़ आभामण्डल के कोई सिद्धपुरुष बैठे थे, लग रहा था मानों हज़ारों सालो से किसी तपस्या में लीन हो।)
वो- हम भगवान हैं, ईश्वर!
मैं -नहीं वो तो अभी मेरे साथ थी, मैं जिससे प्रेम करता हूँ! जिससे मैं शादी करने जा रहा था और तुमने अचानक मुझे यहाँ बुला लिया, अब जल्दी बोलो मेरे पास ज़ियादः वक़्त नहीं है। मेरी शादी होने वाली है! मेरी प्रेमिका मुझे खोज रही होगी।
वो- बच्चे! मैं जानता हूँ तुम मुझसे ज़ियादा मानते हो उसे, पर उसकी फ़िक्र मत करो। तुम मर चुके हो अब।
मैं- ये कहाँ का न्याय है, तुम्हारी बेरंग दुनिया में मैंने बस एक रंग माँगा था, तुमने वो भी छीन लिया,, तुम ईश्वर नहींहो सकते। हो ही नहीं सकते!! शैतान हो तुम। जाओ अपनी दुनिया में जाकर देखो। किसी को प्रेम करके देखो। असल तपस्या है प्रेम। प्रेमी होने का
दुःख देखों, तब स्वयम् को ईश्वर कहना। तुम शैतान से भी निर्दयी हो।
वो- तुम्हे अगले जनम में वही मिलेगी, तुम्हारा इंतज़ार करते हुए। अब जाओ आगे स्वर्ग का दरवाज़ा है।
मैं- नहीं चाहिए ये तुम्हारा बेकार स्वर्ग, जहाँ मेरी प्रियसी है वही मेरा स्वर्ग है।
(दो दरबान मुझे पकड़े हुए एक दरवाज़े की तरफ ले गए, और मुझे धकेल दिया)
फिर से हॉस्पिटल...
मैं - बस मुझे इतना ही याद है!!
सब रोने लगे और मुझे गले लगाने के लिए बढ़े। हम शहर के हॉस्पिटल से घर की और निकल पड़े और ये सफ़र ज़िन्दगी का था। बाकि सब कहानियाँ....!!
तो बस यही था,, कल रात जो ख़्वाब देखा था!!
कल रात एक ख़्वाब देखा था।
-न से नितेश🙂
आहा भाई क्या कमाल किया है
ReplyDeletethanks
Delete💝💝💝
ReplyDelete🙏💐❤️
DeleteBadia bhai nitesh keep it up bahut hi shandar tumhara bhai shubham
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया शुभम भाई🙏💐❤️
DeleteOhho, really very fab story.....
ReplyDeleteThank you so much akshay😊🙏💐
DeleteFully indulged, very nice 🌼
ReplyDeleteKya baat bhai
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया भाई
DeleteBhut khub👌👌👌
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद
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