ठण्डी हवा का झोंका उसके नर्म हल्के गुलाबी गालों को हौले से छुकर गुज़र गया.. वो जैसे अपनी कोमल उँगलियों से उस हवा के झोंके के साथ आये अवशेष को हटाने की बड़ी प्यारी बचकानी सी कोशिश कर रही थी...
तभी उसकी इस कोशिश पर मेरी नज़र थम गयी, वो किसी छोटी सी बच्ची सा भाव लिए मेरी आँखों में देखने लगी.. मैं अपनी किसी चोरी पकड़े जाने का भाव लिए अपराधबोध महसूस करता हुआ बस मुस्कुरा दिया... नहीं मुस्कुराया नहीं हँस दिया धीमे से।
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कभी कभी तुम्हारे असल में होने से ज्यादा अच्छा तुम्हारे होने का एहसास होता है..!
-नितेश कुशवाह
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