तुम्हें खोना जैसे बहुत से बोझ से मुक्त होना हो.
तुम्हारे साथ तुम्हें ढोना और ख़ुद को भी.
जैसे एक थकान सी लगी रहती थी. अब लगता है कितना सुखद है ख़ुद को ख़ुद के हिसाब से चलाना.
सबको लगता है तुमसे बिछड़कर मैं उदास हूँ,
जबकि तुम्हारे साथ मैं ज़्यादा उदास था.
अजीब है ना !
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11जनवरी 2020, 12:00 AM
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